vichar
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हमें
बार बार क्यों कुरेदते हो तुम ?
क्यों देते हो / ऐसी
अनर्गल शिक्षा।
क्यों जोर देते हो………
इस बात पर
कि मैं,
राम कष्ण गांधी
बु्द्ध ईसा नानक
मोहम्मद या अंबेडकर के
पद चिन्हों पर चलूं।
नींद से जागो / सोचो
यही पद चिन्ह
हमारे वर्तामान की ठोकरें हैं।
पल पल
भूत होता होता
हमारा वर्तमान
उलझा पडा है
इन्हीं ठोकरों में।
अस्तु / हमें
किसी का प्रतिरूप
बनने की शिक्षा मत दो।
दूसरों के पद चिन्हों पर
चलने को मत कहो।
हमें / स्थापित करने दो
जीवन की
नई परिभाषाएं
जीवन के
नए मूल्य
बिल्कुल मौलिक……………।
ताकि / हो सकें
इतिहास के पन्नों पर
हमारे भी…………..
अमिट हस्ताक्षर
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