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प्रीत की प्रश्‍नावली

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दर्द की संभावना हो
प्रीत की प्रश्‍नावली
सूर का हो बाल वर्णन
तुलसी कृत गीतावली
दर्द की संभावना हो प्रीत की प्रश्‍नावली।।
पंखुडी से होंठ कोमल
कोकिला स्‍वर, रूप चंदन
नयन सागर, जुल्‍फ बादल
उम्र पागल देह मधुबन
तुम प्रकाशित दीप दिप दिप दीप दिप दीपावली।
दर्द की संभावना हो प्रीत की प्रश्‍नावली।।
प्‍यार का तुम प्रथम चुंबन
पायलों का गीत रुनझुन
चूडियों की खनखनाहट
लोरियों की मधुर सुनगुन
हो मेरे मानस गगन पर, छा रही तारावली।
दर्द की संभावना हो प्रीत की प्रश्‍नावली।।

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